कोरोना का कहर जारी है और इसका शिकार दिग्गज डॉक्टर भी हो रहे हैं। बिहार के नामचीन हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रभात कुमार की कोरोना से संक्रमित होने के बाद हैदराबाद के एक अस्पताल में मौत हो गई। उन्हें गरीबों का मुफ्त इलाज करने के लिए भी जाना जाता था। उन्हें कुछ दिन पहले ही कोविड-19 की जटिलताओं के इलाज के लिए हैदराबाद ले जाया गया था।
पटना में पहली बार एंजियोप्लास्टी सुविधा दी
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रभात कुमार ने बिहार की राजधानी पटना में पहली बार एंजियोप्लास्टी की सुविधा शुरू की थी। इसके पहले एंजियोप्लास्टी के लिए बिहार से मरीज दिल्ली, मुंबई, चेन्नई या हैदराबाद जैसे शहरों में जाते थे। डॉक्टर प्रभात कुमार केवल एक बेहतरीन हृदय रोग विशेषज्ञ ही नहीं थे बल्कि वह उससे भी बढ़कर एक नेकदिल इंसान भी थे। आज के इस दौर में जब बड़े नामचीन डॉक्टर और अस्पताल गरीब का इलाज करने से मना कर देते हैं उसमें डॉक्टर प्रभात गरीबों का मुफ्त में इलाज करने के लिए भी जाने जाते थे। उनकी हमेशा कोशिश रही कि कोई भी केवल पैसे के अभाव में इलाज के बगैर जीने को मजबूर न हो।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जाताया शोक
डॉक्टर कुमार की मृत्यु पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी गहरा शोक जताया है। बिहार के मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि डॉक्टर प्रभात नामचीन हृदय रोग विशेषज्ञ थे और वह समाज सेवा के कामों से भी जुड़े थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉक्टर प्रभात की मृत्यु से चिकित्सा जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। उन्होंने ने दिवंगत आत्मा की शान्ति तथा उनके परिजनों को दुख की इस घड़ी में धैर्य की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है।
विपक्ष ने शुरू की राजनीति
बिहार के इस नामचीन डॉक्टर की मौत पर जहां हर आम और खास को सदमा लगा है। वहीं विपक्ष ने इस मुद्दे पर भी सरकार को घेरने की कोशिश की है। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर आरोप लगाया है कि राज्य में कोरोना से सबसे ज्यादा डॉक्टरों की मौत हुई है क्योंकि राज्य सरकार मानक सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत सुरक्षात्मक उपकरण प्रदान करने में विफल रही है। हालांकि, इस बीच कोरोना से राज्य में होने वाली मौत पर हाईकोर्ट ने सख्त कदम उठाया है।