भारत के मशहूर हृदय रोग विशेषज्ञ और सर्जन डॉक्टर केके अग्रवाल कोरोना से आखिरकार जंग हार गए। उन्होंने कोरोना वैक्सीन का दोनो डोज लिया था। वह पिछले एक हफ्ते से वेंटीलेटर पर थे। वह इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी आईएमए के अध्यक्ष भी रह चुके थे। केके अग्रवाल की उम्र 62 साल थी।
प्राचीन वैदिक चिकित्सा पर भी लिखी किताब
मेडिकल साइंस से जुड़े लोग शायद ही कभी दूसरी चिकित्सा पद्धति और खासकर वैदिक चिकित्सा को तरजीह देते हैं। लेकिन डॉक्टर अग्रवाल मेडिकल साइंस के दिग्गज होते हुए भी वैदिक चिकित्सा के महत्व को जानते थे। यही वजह है कि उन्होंने मेडिकल साइंस पर कई किताबें लिखने के साथ प्राचीन वैदिक चिकित्सा, इकोकार्डियोग्राफी भी कई किताबें लिखी। साथ ही इन विषयों पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में भी कई लेख लिखे।
कलर डॉपलर इकोकार्डियोग्राफी तकनीक भारत लाए
डॉक्टर अग्रवाल कई मायनों में खास थे।उन्होंने भारत में कलर डॉपलर इकोकार्डियोग्राफी तकनीक कीशुरूआत की। वह भारत में दिल के दौरे यानी हार्ट अटैक के लिए स्ट्रेप्टोकिनेस थेरेपी इस्तेमाल करने वाले अग्रणी चिकित्सकों में से एक थे।
नाक में ऑक्सीजन लगाकर भी देते रहे सलाह
भारत में कोरोना के शुरुआती दौर में ही डॉक्टर अग्रवाल ने आम लोगों की खातिर मोर्चा संभाल लिया था और सोशल मीडिया के जरिये मुफ्त में इलाज करते रहे। खुद कोरोना पॉजिटिव होने के बावजूद लोगों के लाज के लिए जीवटता दिखाते रहे और यहां तक कि नाक में ऑक्सीजन पाइप लगाकर भी लोगों से ऑनलाइन बात करते नजर आए।
पद्म श्री से सम्मानित
चिकित्सा जगत में डॉ अग्रवाल के काम को हर तरफ सराहना मिली। उन्हें 2005 में चिकित्सा जगत के सर्वोच्च पुरस्कार डॉ बीसी रॉय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद चिकित्सा जगद में उनके योगदान के लिए 2010 में भारत सरकार ने उन्हें देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया था।
मध्य प्रदेश से भी रहा नाता
मध्य प्रदेश में पैदे हुए डॉ केके अग्रवाल ने 1979 में नागपुर विश्वविद्यालय से एमबीबीएस की पढ़ाई की। इसके बाद 1983 में वहीं से एमडी किया। वह साल 2017 तक नई दिल्ली के मूलचंद मेडिसिटी में सीनियर कंसल्टेंट रहे।