भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास के नेतृत्व वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने शुक्रवार को रेपो दरों में कोई बदलाव नहीं किया। इससे फिलहाल कर्ज सस्ता होने की उम्मीद घट गई है। रिजर्व बैंक के गवर्नर की अगुवाई में एमपीसी ने रेपो दरों को स्थिर रखने के बावजूद कोरोना महामारी की दूसरी लहर से प्रभावित देश की अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए मौद्रिक नीति के रुख को नरम बनाए रखा। साथ ही यह भी कहा कि वह आर्थिक वृद्धि के लिए हर संभव उपायों पर विचार करेगा।
बहुमत से दरें स्थिर रखने पर फैसला
एमपीसी के छह सदस्यों ने रेपो दर को चार प्रतिशत पर बरकरार रखने के पक्ष में मत दिया। इसके साथ ही रिवर्स रेपो दर 3.35 फीसदी और सीमांत स्थायी सुविधा और बैंक दर भी 4.25 फीसदी पर स्थिर रखी गई हैं। रेपो दर में स्थिरता के चलते उपभोक्ताओं के लिए फिलहाल कर्ज की ईएमआई में किसी तरह की बदलाव की उम्मीद नहीं है।
रिजर्व बैंक ने जीडीपी अनुमान घटाया, मदद की लगाई गुहार
कोरोना का दूसरी लहर ने आर्थिक विकास दर (जीडीपी) को तगड़ा झटका दिया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने कोरोना महामारी के कारण विभिन्न राज्यों में लॉकडाउन को देखते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी अनुमान 10.5 प्रतिशत से घटाकर 9.5 प्रतिशत कर दिया।
रिजर्व बैंक ने किससे मांगी मदद
मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक के बाद रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि एमपीसी का मानना है कि 2021 की दूसरी छमाही में आर्थिक गतिविधियों की जो रफ्तार बनी थी उसे दोबारा से हासिल करने के लिए इस समय चारों तरफ से नीतिगत समर्थन की जरूरत है। हमें आर्थिक क्षेत्र में जो बेहतर शुरुआत हुई थी उसे आगे बढ़ाना है।
भविष्य में दरें घटाने का दिया संकेत
आरबीआई गवर्नर ने रेपो दरों में और कटौती की गुंजाइश का संकेत देते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था पर कोविड- 19 के प्रभाव को कम करने और लंबे समय तक वृद्धि को बनाए रखने के लिए जब तक जरूरी होगा मौद्रिक नीति का रुख उदार रहेगा। उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने पिछले साल मार्च के बाद से अब तक रेपो दर में 1.15 प्रतिशत की कटौती की है। इसके चलते ब्याज दरें रिकार्ड निचले स्तर पर आ गई हैं। दास कई बार कह चुके हैं कि कोरोना की चुनौती से निपटने के लिए अप्रत्याशित कदम उठाने से भी परहेज नहीं करेंगे।