भारतीय रिजर्व बैंक (reserve bank of india) ने शुक्रवार को रेपो दरों को फिर से स्थिर रखने का फैसला किया। आपकी जेब पर डाका डालने वाली ताकत ने आरबीआई को फिर से कर्ज सस्ता करने से रोक दिया। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रेपो दर को चार फीसदी पर स्थिर रखने का फैसला किया। कोरोना की दूसरी लहर का अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका के बावजूद रिजर्व बैंक ब्याज दरें घटाने का साहस नहीं दिखा पाया।
जानिए क्या कहा रिजर्व बैंक ने
इसकी एक बड़ी वजह बढ़ती खुदरा महंगाई है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा पेश करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा कि अभी तक जो उपाय किए गए हैं और साथ ही महंगाई के ऊपर की ओर जाने के जोखिमों पर विचार के बाद चालू वित्त वर्ष में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 5.1 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है।
कब कितनी सताएगी महंगाई
रिजर्व बैंक के मुताबिक वित्त वर्ष की पहली तिमाही में खुदरा महंगाई 5.2 प्रतिशत, दूसरी में 5.4 प्रतिशत, तीसरी में 4.7 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
तो बेलगाम हो सकती है महंगाई
रिजर्व बैंक (rbi) गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर यदि गहराती है और इसकी वजह से देशभर में गतिविधियों पर अंकुश लगते हैं तो महंगाई (inflation) के ऊपर की ओर जाने का जोखिम है। दास ने कहा कि ऐसे हालात में खाद्य वस्तुओं के कीमतों को आपूर्ति पक्ष की दिक्कतों से बचाने की जरूरत है। इसके लिए लगातार निगरानी और तैयारियों की जरूरत होगी। आरबीआई ने सावधान करते हुए कहा है कि मौजूदा लॉकडाउन के दौर के बीच आपूर्ति अड़चनें बढ़ने और जिंसों के ऊंचे दाम से खुदरा महंगाई बढ़ने का जोखिम भी है। सरकार को इस बारे में समयबद्ध उपाय करने होंगे।