गुजरात के राजकोट जिले के चाय बेचने वाले एक व्यक्ति को मजिस्ट्रेट कोर्ट ने न्यायाधीश (जज) पर चप्पलें फेंकने के अपराध में 18 महीने की सजा सुनाई। दोषी व्यक्ति ने उसके एक मामले में सुनवाई लंबित होने से नाराज होकर 2012 में हाईकोर्ट के एक जज पर चप्पलें फेंक दी थी।
क्या है मामला
मिर्जापुर ग्रामीण न्यायालय के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी वीए धधल ने गुरुवार को भवानीदास बावाजी को भारतीय दंड सविंधान (आईपीसी) की धारा 353 के तहत दोषी ठहराया। पुलिस के मुताबिक बावाजी ने दावा किया था कि वह उसके मामले की सुनवाई लंबित होने से नाराज था और हताश होकर उसने न्यायाधीश पर चप्पलें फेंक दी। यह देखते हुए कि न्यायाधीश पर चप्पल फेंकने की हरकत अत्यंत निंदनीय है, मजिस्ट्रेट ने बावाजी को प्रोबेशन के तहत राहत देने से भी इनकार कर दिया। गौरतलब है कि इस प्रावधान के तहत दोषी के अच्छे आचरण को देखते हुए उसे रिहा कर दिया जाता है।
गरीबी देखकर जुर्माना नहीं लगाया
मजिस्ट्रेन ने राजकोट के रहने वाले बावाजी को कैद की सजा भले ही सुनाई है, लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए उस पर कोई जुर्माना नहीं लगाया गया। उल्लेखनीय है कि आरोपी ने 11 अप्रैल 2012 को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के न्यायाधीश केएस झावेरी पर अपनी चप्पलें फेंक दी थी, हालांकि वे उन्हें लगी नहीं थी। इसके बाद बावाजी को सोला पुलिस थाने के हवाले कर दिया था।