सरकारी नौकरी की अंधी दौड़ में ना दौड़े युवा- उम्मेद सिंह ढूल

रखा विचार : खुद को बेरोजगार मत बनाईये, अपने हुनर से रोजगार बनाईये. राजस्थान जाट महासभा के उपाध्यक्ष उम्मेद सिंह ढूल का युवाओं से आह्वान केवल एक ही विकल्प में व्यर्थ ना गंवाएं कीमती वक्तकौशल विकास के जरिए युवा शक्ति हासिल कर सकती है उज्ज्वल भविष्य सरकारों से भी इस ओर ध्यान देने की अपील.

गरीबों का सितारा
जयपुर।

आज का युवा जिस कदर सरकारी नौकरी की अंधी दौड़ में दौड़ रहा है, इस पर राजस्थान जाट महासभा के उपाध्यक्ष उम्मेद सिंह ढूल ने चिंता जताई है। ढूल ने युवाओं का आह्वान करते हुए हुए कहा कि युवावस्था के कीमती समय को महज एक ही विकल्प के पीछे व्यर्थ ना गंवाए बल्कि कौशल विकास एवं स्वरोजगार के विकल्पों पर भी ध्यान दें। कौशल विकास एवं स्वरोजगार से भी युवा उज्ज्वल भविष्य हासिल कर सकते है।
ढूल ने कहा कि युवा किसी भी देश का भविष्य है। आज, भारत विश्व की सबसे बड़ी शक्ति के रूप में उभर रहा है। यहां प्रत्येक तीसरा व्यक्ति युवा है ऐसे में हमें, इस युवा ऊर्जा का प्रयोग सही दिशा में करने के लिए साधन सोचने होगें। ढूल ने सरकारों से भी अपील की है कि युवाओं के लिए शिक्षा, कौशल विकास, रोजगार और स्वरोजगार के अवसर पैदा करने वाली नीतियां और कार्यक्रम मौजूदा वक्त की सबसे बडी आवश्यकता है। युवाओं को सशक्त बनाने की कुंजी, कौशल विकास के साथ है। जब एक युवा के पास आवश्यक कौशल होता है तो वह उसका उपयोग अपनी आजीविका व दूसरों की सहायता करने के लिए कर सकता है।

देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में युवाओं की अहम भूमिका

ढूल ने कहा कि आज आवश्यकता है कि शिक्षा को रोजगारोन्मुखी बनाया जाए और युवाओं में कौशल और तकनीकी क्षमता विकसित की जाए। जिससे भारत उभरती अर्थव्यवस्था की मुख्य चुनौतियों से निपटने में सफल हो सके। वोकेशनल ट्रेनिंग के माध्यम से युवाओं को आज के अनुकूल कौशल का निर्माण करने वाला प्रशिक्षण देना होगा तभी कौशल विकास सफल हो सकता है। कौशल विकास एक बड़ी नैतिकता और जवाबदेही का कार्य है जिसके माध्यम से युवाओं को उद्यमशील बनाया जा सकता है। स्किल्ड युवा निश्चित रूप से कौशल युक्त भारत का निर्माण कर सकता है।

सही सोच और सही राह अपनाए आज का युवा

ढूल ने कहा कि बढ़ती आबादी और बदलते वक्त की जरूत को देखते हुए हमारी शिक्षा व्यवस्था में बदलाव लाने और उसे रोजगारपरक बनाने की जरूरत है। नियमित कोर्सों के साथ विभिन्न क्षेत्रों में हुनरमंद बनाने वाले व्यवहारिक कोर्स भी शुरू किए जाने चाहिए। हाल के दिनों में विभिन्न क्षेत्रों में युवाओं द्वारा शुरू किए जाने वाले स्टार्ट-अप्स की कामयाबी यह बताती है कि उद्यमिता के क्षेत्र में बेशुमार मौके हैं, बशर्ते सही सोच के साथ सही राह पर मन और मेहनत से काम किया जाए। उन्होंने कहा कि भारत जैसी विशाल आबादी वाले देश में अगर स्कूली स्तर से ही बच्चों को उनकी रुचि के क्षेत्र में प्रशिक्षित किया जाए, तो बड़े होने पर उन्हें सरकारी नौकरी के पीछे नहीं भागना पड़ेगा।