प्राकृतिक आपदाओं में अगर हम बात करे तो लू या हीट वेव की तो इस आपदा से भारत वर्ष में हर साल हजारो लोगों की जान जाती हैं | इसमे बुजुर्ग, बच्चे, महिलाएं शामिल हैं इस आपदा में लू से हुई बीमारी से व्यक्ति तड़प तड़प कर अपनी जान दे देता है | भारत में लू या हीट वेव का प्रभाव सर्वाधिक उतर भारत के राज्यों में रहता है इसमे प्रमुखता राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, उतर प्रदेश, महाराष्ट्र आदि राज्य शामिल हैं | आपदा के दोरान भरी गर्मियों में तेज गर्म हवाओ से फसलों को भारी नुकसान पहुंचता है व खेतों में खड़ी फसलों को भारी नुकसान पहुंचाता है | जिसकी वज़ह से भारी जान माल की क्षति होती है, आपदा से हुए नुकसान की भरपाई करना बहुत ही मुश्किल होता है | रेगिस्तानी इलाकों में गर्मियों के समय तापमान 50′ C से 55 ‘ C तक पहुच जाता है, इससे कई बीमारियां भी अपनी जगह बना लेती है अगर इसके प्रभाव से बचना है तो बचाव के उपाय को इस्तेमाल कर लू और हीट वेव से बच सकते हैं |
लू और हीट वेव से बचाव के उपाय
हीट वेव और लू असामान्य रूप से उच्च तापमान की अवधि है, जो भारत के उत्तर-पश्चिमी भागों में गर्मी के मौसम में होने वाले सामान्य अधिकतम तापमान से अधिक है। हीट वेव्स और लू आमतौर पर मार्च और जून के बीच होती हैं, और कुछ दुर्लभ मामलों में जुलाई तक भी बढ़ जाती हैं। यह भारत वर्ष में राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, बिहार आदि राज्यों में रहता है अत्यधिक तापमान और परिणामी वायुमंडलीय परिस्थितियां इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं क्योंकि ये शारीरिक तनाव का कारण बनती हैं, जिसकी वजह कभी-कभी मृत्यु भी हो जाती है।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने हीट वेव्स के लिए निम्न मापदंड दिए हैं:
हीट वेव को तब तक नहीं माना जाना चाहिए जब तक एक स्टेशन का अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों के लिए 40 ° C तक और कम से कम 30 ° C तक हिली क्षेत्रों तक नहीं पहुँच जाता है
जब किसी स्टेशन का सामान्य अधिकतम तापमान 40 ° C से कम या बराबर होता है हीट वेव सामान्य से 5 ° C होता है तो 6 ° C से 6 ° C सामान्य तापमान से अधिक होता है |
जब वास्तविक अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस या सामान्य अधिकतम तापमान से अधिक रहता है, तो गर्मी की लहरें घोषित की जाती है । उच्च दैनिक चरम तापमान और लंबे समय तक, अधिक तीव्र गर्मी की लहरें जलवायु परिवर्तन के कारण विश्व स्तर पर लगातार बढ़ रही हैं। भारत भी जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को महसूस कर रहा है जो गर्मी की लहरों के बढ़े हुए उदाहरणों के रूप में है जो प्रत्येक गुजरते साल के साथ प्रकृति में अधिक तीव्र परिवर्तन हो रहे हैं , और मानव स्वास्थ्य पर विनाशकारी प्रभाव डालते हैं जिससे गर्मी की लहर से हताहतों की संख्या बढ़ जाती है।
गर्मी के मौसम में चलने वालीं गर्म हवा को ही लू कहते हैं लू से बचने की हिदायतें गर्मी का मौसम आते ही बड़े बुज़ुर्गों से मिलने लगती है लू से सावधान रहना जरूरी है अन्यथा इससे बहुत नुकसान पहुंच सकता है जब गर्मी के कारण शरीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव होने लगते हैं असल में यह गर्मी से होने वाली शारीरिक समस्या है हमारे शरीर में खुद को ठंडा रखने की कार्यप्रणाली होती है इस कार्यप्रणाली के कारण हम बाहर की गर्मी या शारीरिक गतिविधि के कारण अंदर बढ़ने वाली गर्मी से खुद को बचा पाते हैं पसीना आना उसी कार्यप्रणाली का हिस्सा होता है पसीना आने के लिए शरीर में पर्याप्त मात्रा में पानी का होना जरूरी होता है पानी की कमी होने पर यह कार्यप्रणाली सही तरीके से काम नहीं कर पाती ऐसे में यदि शरीर का तापमान 104.F से ज्यादा हो जाये तो यह शरीर के लिए खतरनाक होता है |
लू या हीट वेव्स लगने के कारण
1.गर्मी व पानी की कमी
यदि शरीर में पानी की कमी होती है ऐसे में तेज धूप और गर्मी में अधिक देर तक रहते हैं तेज गर्मी में कड़ी शारीरिक मेहनत वाले काम करते हैं तो शरीर खुद को ठंडा नहीं कर पाता है ऐसे में लू लगना या हीट स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है |
- शराब या चाय कॉफी आदि का अधिक सेवन
शराब पीने या चाय कॉफी काफी अधिक मात्रा में लेने से पेशाब ज्यादा आता है क्योंकि शरीर पेशाब के माध्यम से इनके नुकसानदायक तत्वों को लगातर बाहर निकलने की कोशिश करता रहता है इससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है | - धूप में बिना एसी वाली कार में बंद कर बेठना
कभीं कभीं बंद कार में लू लगने का बहुत सामान्य कारण होता है बंद कार यदि धूप में खड़ी हो तो कार का तापमान बाहर के तापमान से बहुत ज्यादा हो जाता है बाहर यदि 25.C तापमान हो तो कार के अंदर का तापमान 50.c या इससे ज्यादा भी हो सकता है कुछ लोग बच्चों व बुज़ुर्गों को बंद कार में छोड़कर किसी काम से चले जाते हैं छोटे बच्चे, बुज़ुर्ग लोगों को कभी भी बंद कार में अकेला नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि बहुत कम समय में ही लू के शिकार हो जाते है | - अत्यधिक नर्मी वाली गर्मी
जब वातावरण में नमी अधिक हो जाती है तो पसीना शरीर से उड़ नहीं पाता पसीना नहीं उड़ने के कारण ठंडक नहीं हो पाती यह भी लू लगने का कारण बन सकता है | - सिंथेटिक या टाइट कपड़े पहनना
गर्मी के मौसम में सिंथेटिक या टाइट कपड़े पहनने से हवा नहीं लग पाती व शरीर के अंदर की गर्मी बाहर नहीं निकल पाती ऐसे में लू का असर हो सकता है | - पुरानी बीमारी के कारण शारीरिक कमजोरी
ह्रदय रोग, फेफड़े की समस्या, गुर्दे की समस्या, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, मानसिक तनाव, डायबिटीज, आदि लंबे समय से ग्रस्त होने पर शारीरिक क्षमता पर असर पड़ने लगता है ऐसे में तेज गर्मी का असर जल्दी पडने लगता है अतः सावधान रहने की जरूरत है | - बच्चे या बुज़ुर्गों को ज्यादा खतरा
अधिकतर बच्चे या बुज़ुर्ग लोग आसानी से लू की चपेट में आ जाते हैं क्योंकि उनमे गर्मी का सामना करने की शक्ति कम होती है पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीने, अधिक शराब या चाय कॉफी पीने पर किसी भी उम्र में लू लग सकती है |
हीट वेव्स या लू के लक्षण और इसका खतरा
सिर दर्द के साथ बॉडी पेन , दिल की धड़कन बड़ जाना, तापमान बढ़ जाना, साँस लेने में दिक्कत, नर्वस रेट का बड़ जाना, थकावट, तेज बुखार, और बेहोशी इसके लक्षण है लू लगने पर उल्टी और चक्कर भी आ सकता है और मांसपेशियों में ऐठन भी हो सकता है शारीरिक रूप से कमजोर लोग, छोटे बच्चे और ह्रदय रोगी को सावधानी बरतनी चाहिए त्वचा का लाल गर्म व सुखी हो जाना व्यवहार में परिवर्तन हीट क्रैम्प्स एडरना (सूजन) और सिंकैप (बेहोशी) आमतौर पर बुखार के साथ 39 डिग्री सेल्सियस से नीचे यानी I.102 ° F शरीर का तापमान 40 ° C यानी 104 ° F या इससे अधिक के साथ-साथ प्रलाप, दौरे या कोमा। यह एक संभावित घातक स्थिति हैै कोई भी लक्षण आने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए ठंडी जगह पर रहे खूब पानी पिए |
लू से बचने के उपाय
गर्मी में गर्म हवा और बड़ा हुआ तापमान लू लगने का कारण होता है इस स्थिति में सभी को लू से बचने के उपाय जानना चाहिए लू से बचने के उपाय बहुत सरल है अगर इन बातों का ध्यान रखा जाए तो लू से बचा जा सकता है लू से बचने के उपाय मे घरेलू चीजे भी शामिल है जिन्हें आप आसानी से अपना सकते हैं |
घरेलु उपायों को भी अपनाकर लू से बचा जा सकता है अगर आप पूरी गर्मी इन छोटी छोटी बातों का ध्यान रखेंगे तो लू लगने से बचा जा सकता है |
- धुप से निकलते वक़्त छाते का इस्तेमाल करना चाहिए सिर ढक कर धूप से निकले |
- घर से पानी या कोई ठंढ़ा शर्बत पीकर बाहर निकले |
- त्वचा पर गिला कपड़ा फेरकर शरीर का तापमान कम करने की कोशिश कर सकते हैं |
- तेज़ धूप से आते ही ज्यादा पसीना आने पर फोरन ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए |
- गर्मी के दिनों में बार बार पानी पीते रहना चाहिए ताकि शरीर में पानी की कमी न हो |
- पानी में नींबु और नमक मिलाकर दिन में दो या तीन बार पीते रहने से लू लगने का खतरा कम रहता है |
- धूप में बाहर जाते वक़्त खाली पेट नहीं जाना चाहिए |
- खान पान का ख़ास ध्यान रखें |
- सब्जियों के सूप का सेवन करना चाहिए बेल का ज्यूस भी फायदेमंद है बेल आपके विटामिन और खनिज की कमी को पूरा करेगा और शरीर में ठंडक पहुंचाएगा इमली और पुदीने का पानी भी ले सकते हैं नारियल पानी भी आसान उपाय है |
- लू लगने पर शरीर के तापमान को कम करने की कोशिश करनी चाहिए इसके लिए व्यक्ति को तुरंत छाया वाली ठंडी जगह मे ले जाना चाहिए शरीर को ठंडी हवा में रखे |
- बगल, पीठ, नाभि के पास दोनों तरफ जांघों पर, गर्दन, और हाथो पर बर्फ लगा सकते हैं इन जगहों पर रक्त की नसें ज्यादा होती है अतः शरीर में ठंडक लाने के लिए इसका जल्द असर होता है |
- कोशिश करनी चाहिए कि तेज धूप के बजाय सुबह या शाम के ठंडे समय में काम को निपटा ले यदि धुप मे रहना पड़ता हो तो हर आधे घंटे में एक गिलास पानी पीते रहना चाहिए चाहे प्यास लगे या ना लगे |
- चिकित्सक से परामर्श ले यदि लक्षण खराब हो जाते हैं या लंबे समय तक चलते हैं या व्यक्ति बेहोश है | *शराब, चाय, कॉफी, कैफीन या वातित पेय न पीए |
- बेहतर वेंटिलेशन के लिए ढीले कपड़े करे |
आपातकालीन किट साथ रखे जो निम्नलिखित है
( पानी की बोतल, छाता, टोपी या टोपी, सिर कवर,
हाथ तौलिया, हाथ का पंखा, इलेक्ट्रोलाइट, ग्लूकोज, ओरल रिहाइड्रेशन)
- कोशिश करे कि यदि हाथ, मुह, सिर पूरी तरह से ढके, सूती कपड़े ही पहने, घर में भी कमरे के तापमान को कम रखे, घरों में हवा आती जाती रहे इसका भी ख्याल रखे |
लू व हीट वेव्स से बचना इसलिए जरूरी है कि कभी कभी यह आपदा जान खतरे में पड़ जाती है जिसकी वजह से जान भी जा सकती है | इसलिए आपदा में बचाव ही सुरक्षा है।
आपदा विशेषज्ञ निरीक्षक
भँवर लाल टॉक